भारत में, नाबालिक लड़की की शिकायत के मामले में उनके पिता या माता के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन यह कुछ विशिष्ट परिस्थितियों पर निर्भर कर सकता है। भारतीय कानून में, नाबालिकों की सुरक्षा और हिफाजत के लिए कई कदम उठाए गए हैं। "Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act, 2012" एक ऐसा कदम है जिसमें नाबालिकों के साथ यौन उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधान हैं। इसमें नाबालिक लड़की की सहमति की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में उसकी सहमति की आवश्यकता नहीं होती, जैसे कि जब यह एक किसी अन्य नाबालिक के साथ घटित होता है या जब किसी अधिकारिक व्यक्ति द्वारा उत्पीड़न किया जाता है। इसके अलावा, "Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015" नाबालिकों की हिफाजत और सुरक्षा के मामले में विशिष्ट प्रावधान प्रदान करता है। यहाँ भी, उनकी सहमति की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में यह आवश्यक नहीं होती। सामान्यत: नाबालिक लड़की की शिकायत में उसके पिता या माता की सहमति की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन सभी मामलों में यह आपके द्वारा उल्लेखित कानूनी प्रावधानों पर निर्भर कर सकता है। अगर आपके पास किसी विशिष्ट मामले के बारे में संदेह हो, तो स्थानीय कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लेना सुरक्षित होगा।
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