भारतीय कानून में घरेलू हिंसा (Domestic Violence) के मामलों के लिए कई प्रावधान हैं। निम्नलिखित हैं कुछ मुख्य प्रावधान: दारों का स्थान: पेशाब के सभी जिलों में एक दार नियुक्त किया जाता है जो घरेलू हिंसा के मामलों को सुनने और समाधान करने के लिए जिम्मेदार होता है। प्रारंभिक समाधान: आरोपी के खिलाफ आपातकालीन निर्धारण (Ex parte interim orders) के आधार पर साक्षात्कार और संबंधित आदेश जारी किए जा सकते हैं। सुरक्षा आदेश: संकटात्मक स्थिति में, आरोपी के खिलाफ सुरक्षा आदेश (Protection Orders) जारी किए जा सकते हैं जो विकल्पित रूप से शांति बनाए रखने के लिए उचित होते हैं। ज़िम्मेदारियों का वितरण: घरेलू हिंसा की त्रुटि के बाद, जिला न्यायाधिकरण समाधान प्रदान करने की जिम्मेदारी लेता है और जिम्मेदारियों का वितरण करता है। सुरक्षा और समर्थन: पीड़ित पक्ष को सामर्थन और सुरक्षा के लिए नारी समाज और विकास मंत्रालय द्वारा विशेष सुरक्षा और सहायता की सेवाएं प्रदान की जाती हैं। सजा: घरेलू हिंसा के मामलों में दोषी के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जा सकती है जिसमें जुर्माना, कैद या अन्य सजा शामिल हो सकती है। संशोधन का संभावनात्मक कदम: घरेलू हिंसा (Domestic Violence) कानूनी प्रावधानों में संशोधन के लिए आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं ताकि पीड़ित पक्ष को अधिक समर्थन और सुरक्षा मिल सके। कृपया ध्यान दें कि घरेलू हिंसा के मामलों में कानूनी सलाह लेना और समाधान के लिए जिला न्यायाधिकरण या अन्य संबंधित अधिकारिक संस्थानों से सहायता लेना सबसे अच्छा होगा।
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