भारत में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया इस प्रकार है: इरादे की सूचना: दोनों पक्षों को शादी की तारीख से कम से कम 30 दिन पहले निर्धारित प्रारूप में विवाह अधिकारी को शादी के इरादे की सूचना देनी चाहिए। नोटिस दोनों पक्षों और गवाहों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए, और इसमें नाम, आयु, पता, व्यवसाय, वैवाहिक स्थिति और विवाह का इच्छित स्थान जैसे विवरण शामिल होने चाहिए। दस्तावेजों का सत्यापन: विवाह अधिकारी दोनों पक्षों और गवाहों द्वारा प्रदान किए गए दस्तावेजों का सत्यापन करेगा। यदि दस्तावेज ठीक पाए जाते हैं, तो विवाह अधिकारी विवाह की तारीख तय करेगा। विवाह अनुष्ठापन: विवाह की तिथि पर, दोनों पक्षों और गवाहों को न्यायालय में विवाह अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना चाहिए। विवाह अधिकारी विवाह की घोषणा को पढ़ेगा, और दोनों पक्षों को यह पुष्टि करनी होगी कि वे स्वेच्छा से और बिना किसी दबाव या अनुचित प्रभाव के एक-दूसरे से विवाह कर रहे हैं। विवाह प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर: दोनों पक्षों, गवाहों और विवाह अधिकारी को निर्धारित प्रारूप में विवाह प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करना चाहिए। विवाह प्रमाण पत्र विवाह अधिकारी द्वारा पंजीकृत किया जाएगा और इसकी एक प्रति दोनों पक्षों को दी जाएगी। विवाह प्रमाण पत्र जारी करना: विवाह अधिकारी पंजीकरण के बाद विवाह प्रमाण पत्र की प्रमाणित प्रति जारी करेगा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया राज्य और पार्टियों पर लागू व्यक्तिगत कानूनों के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती है। इसके अतिरिक्त, कुछ राज्यों को अतिरिक्त दस्तावेजों या प्रक्रियाओं की भी आवश्यकता हो सकती है, जैसे चिकित्सा प्रमाणपत्र या पुलिस सत्यापन। किसी विशेष राज्य में कोर्ट मैरिज की सटीक प्रक्रिया को समझने के लिए स्थानीय विवाह रजिस्ट्रार या वकील से जांच करने की सलाह दी जाती है।
Answer By Abdul Karimsahi
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