भारतीय कानून में, वकीलों के कई अधिकार होते हैं। यहां कुछ मुख्य वकील के अधिकारों का उल्लेख किया गया है: विधिक प्रतिनिधित्व: वकील अपने मामलों में मुख्यता से अपने मामले के पक्ष की प्रतिनिधित्व करते हैं। वे अपने मामलों की रक्षा करने के लिए आरोपी और अदालत के सामने वकालत करते हैं। कानूनी सलाह: वकील अपने ग्राहकों को कानूनी परामर्श देते हैं। वे मामले के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, कानूनी विकल्पों को समझाते हैं, और कानूनी रूपरेखा तैयार करते हैं ताकि ग्राहक अपने हक को सुरक्षित रख सके। साक्ष्य प्रबंधन: वकील अपने मामलों में साक्ष्य प्रबंधन करते हैं, जिसमें शामिल हो सकता है साक्ष्य, गवाहों की बयानें, और अन्य आवश्यक जानकारी। न्यायिक प्रक्रिया: वकील अपने मामलों को न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत प्रबंधित करते हैं। इसमें दस्तावेज़ों की फ़ाइलिंग, नोटिसों का प्राप्त करना, प्राथमिक और अपीलीय अदालतों में तैरी करना और अन्य याचिकाएं शामिल हो सकती हैं। गवाही और याचिका का अधिकार: वकील अपने मामलों में गवाही देने का अधिकार रखते हैं और याचिका कर सकते हैं। वाद-विवाद में सलाहकार: वकील वाद-विवाद संबंधी मामलों में पक्षपाती के रूप में सलाहकार के रूप में काम करते हैं। यह सूची केवल कुछ प्रमुख अधिकारों को शामिल करती है और अन्य कई अधिकार भी हो सकते हैं जो वकीलों को उनके कानूनी कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति देते हैं। भारतीय कानून के अनुसार, वकीलों के अधिकार और कर्तव्य भी विशिष्ट विधि प्रणाली, न्यायालय और विधिक प्रक्रिया के अनुसार बदल सकते हैं।
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